देशी गौवंश संरक्षण: पेशे से एक सफल चार्टेड अकाउंटेंट होने के बाद भी नरेंद्र कुमार का बचपन से ही प्रकृति के प्रति अधिक झुकाव रहा है। नरेंद्र कुमार मूल रूप से बिहार के सीतामढ़ी स्थित रुन्नीसैदपुर प्रखंड के रहने वाले हैं।
गांव में पालन पोषण होने के कारण, उन्हें बचपन से ही सभी प्राकर्तिक और पौष्टिक चीज़ो की अच्छी समझ रही है। शहर में आने के बाद उन्हें एहसास हुआ कि भारत के शहरों में लोगों के लिए ऑर्गेनिक खाना खाना कितना मुश्किल हो गया है। लोग स्वास्थ्य चीजों की मांग तो करते हैं लेकिन उनकी मांग के अनुसार आर्गेनिक चीजों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।
दूध भारत में हर किसी के आहार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। दूध और उससे बने अन्य सभी डेयरी उत्पाद, जैसे मक्खन, दही, आइसक्रीम और पनीर हम यहां जो कुछ भी खाते हैं, उन सभी चीजों का प्राकर्तिक रूप से उत्पादन किया जाता है जो हमारे शरीर के लिए बेहद गुणकारी होता है । लेकिन शहर में मिलने वाले मिलावटी दूध पिने के कारण लोगों का स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है। इसलिए, शहर में रहने वाले लोगों तक शुद्ध व पौष्टिक दूध पहुंचाने के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में एक सुंदर भूमि पर 25 एकड़ की एक गौशाला का निर्माण कराया है। जिसे स्वदेशी वीआईपी नाम दिया गया है।
नरेंद्र कुमार की गौशाला स्वदेशी वीआईपी आज नोएडा – एनसीआर के कई हिस्सों में दूध, दही, घी और डेरी आदि की आपूर्ति करते हैं। रोजाना हजारों ग्राहकों को देशी गाय का शुद्ध दूध गौशाला से सीधे उनके दरवाजे तक पहुंचाते हैं।
देश में देशी गायों (देशी गौवंश संरक्षण) की संख्या लगातार घटती जा रही है। पशुपालकों का मानना है की देसी गाय की मुकाबले विदेशी नस्ल की गाय व्यवसाय के लिए बहुत अच्छी होती है क्योंकि देसी गाय विदेशी नस्ल के मुकाबले बहुत कम दूध देती है। पशुपालकों का कहना है कि विदेशी नस्ल या क्रास ब्रीड की गाय ज़्यादा दूध देती है जिससे मुनाफ़ा भी ज़्यादा होता है। जबकि देसी गाय (देशी गौवंश संरक्षण) उनके मुकाबले कम दूध देती है और देशी गाय के रख-रखाव में भी काफ़ी ज्यादा जतन करना पड़ता है। जबकि विदेशी नस्ल की गाय हर मौसम और हर वातावरण को झेलने की क्षमता रखती हैं।
हाइड्रोपोनिक तकनीक से उगाते हैं चारा
बढ़ती जनसँख्या और खेती योग्य भूमि की कमी होने के कारण पशुओं के लिए चारा त्यार करना बहुत बड़ी समस्या है। ऐसे में पशुओं के लिए चारे की आपूर्ति करने के लिए नरेंद्र कुमार ने नए जमाने की तकनीक का सहारा लिया हैं। इनके फार्म में हाइड्रोपोनिक तकनीक का इस्तेमाल करके हरा चारा तैयार किया जाता है। आज दुनिया भर में किसान हाइड्रोपोनिक तकनीक का सहारा लेकर आसानी से चारा उगा रहे हैं। इस हरे चारे से पशुओं के दैनिक आहार की पूर्ति होती है साथ ही दूध का उत्पादन भी अधिक होता है।
देशी गौवंश संरक्षण: गायों को मिलता है समान अधिकार
नरेंद्र कुमार की स्वदेशी वीआईपी गौशाला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां कम और ज्यादा दूध देने वाली या फिर अलग अलग नस्लों की भी सभी गायों (देशी गौवंश संरक्षण) की समान रूप से देखभाल की जाती है। ज्यादा दूध उत्पादित करने वाली गायों के समान ही उनके खाने-पीने और रहने का विशेष इंतजाम किया जाता है।
निकट भविष्य में नरेंद्र कुमार गोमूत्र का अर्क और गोबर से बने उत्पादों को भी बाजार में लाने की योजना बना रहे हैं।
गौशाला खोलने में सहायता कर रहे हैं नरेंद्र कुमार
गायों के संरक्षण (देशी गौवंश संरक्षण) के लिए गोशालाओं के साथ निजी गोपालकों को भी गौसेवा व संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। जिसके तहत इनकी संस्था गौशाला से जुड़े गौपलकों व पशुपालन किसानों को डेरी उत्पादन और गौ संरक्षण की ट्रेनिंग प्रदान करती है। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद गौपालकों को संस्था की ओर से गौशाला खोलने के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करती है।
सॉफ्टवेयर में संयोजित पशुओं का डाटा
नरेंद्र कुमार की गौशाला (देशी गौवंश संरक्षण) में सॉफ्टवेयर के माध्यम से सभी पशुओं का जन्म से लेकर स्वास्थ्य और चिकित्सकों तक का डाटा संयोजित किया जाता है। इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी ग्राहक या पशुपालक उन गायों की जन्म, आयु, माता-पिता, स्वास्थ्य और देखरेख संबंधित सभी जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।
देशी गौवंश संरक्षण: संस्थापक के शब्द
स्वदेशी वीआईपी गोशाला के संस्थापक नरेंद्र कुमार कहते हैं कि गौमाता ईश्वर के द्वारा दिया गया एक अनमोल तोहफा और सनातन संस्कृति[1] का विशेष अंग है। देशी गाय (देशी गौवंश संरक्षण) का दूध अमृत के समान होता है जिसे आज के जमाने में लोग धीरे धीरे भूलते जा रहे हैं। केवल गाय का दूध ही नहीं बल्कि गाय से उत्पन्न होने वाला गोमूत्र और गोबर भी बहुत उपयोगी है। गौहत्या पर नरेंद्र कुमार कहते हैं कि देश में गौहत्या पर रोक लगाने व देशी गाय के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार को कोई आदर्श मॉडल अपनाना चाहिए साथ ही दोषियों पर कड़ी से कड़ी सजा का प्रावधान भी होना चाहिए।
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